12 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 20 लाख करोड़ रुपए के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की (जोकि भारत की जीडीपी के 10% के बराबर है)। इसका उद्देश्य विश्वव्यापी सप्लाई चेन्स की कड़ी प्रतिस्पर्धा में देश को आत्मनिर्भर बनाना और कोविड-19 से प्रभावित गरीबों, श्रमिकों, प्रवासियों को सशक्त करने में मदद करना है। इस घोषणा के बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने पांच प्रेस वार्ताएं कीं और आर्थिक पैकेज के अंतर्गत विस्तृत उपायों की घोषणा की। इस नोट में आर्थिक पैकेज के अंतर्गत प्रस्तावित मुख्य उपायों का सारांश प्रस्तुत किया गया है।
सरकारी सुधार
नीतिगत विशेषताएं
- कर्ज़ लेने की सीमा में बढ़ोतरी: 2020-2021 के लिए राज्य सरकारों की कर्ज़ लेने की सीमा को सकल राज्य घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) के 3% से बढ़ाकर 5% किया जाएगा। इससे राज्यों को 4.28 लाख करोड़ रुपए के अतिरिक्त संसाधन प्राप्त होने का अनुमान है। जीएसडीपी के 3.5% तक की उधारी बिना शर्त होगी। इसके बाद एक राष्ट्र एक राशन कार्ड के सार्वभौमिकीकरण, कारोबार की सुगमता (ईज़ ऑफ डूइंग बिजनेस), बिजली वितरण और शहरी स्थानीय निकाय राजस्व जैसे सुधार करने पर उधारी में 0.25% वृद्धि होगी। इसके अतिरिक्त 0.5% की वृद्धि और हो सकती है, अगर चार में से तीन सुधारों के लक्ष्य को हासिल कर लिया जाता है।5
- सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीएसई) का निजीकरण: नई पीएसई नीति की घोषणा की गई है जिसमें पीएसईज़ के निजीकरण की योजना है, कुछ रणनीतिक क्षेत्रो के उपक्रमों को छोड़कर। इन्हें सरकार द्वारा अधिसूचित किया जाएगा। रणनीतिक क्षेत्रों में कम से कम एक पीएसई रहेगा, लेकिन निजी क्षेत्र को भी अनुमति दी जाएगी। फिजूल प्रशासनिक लागत को कम करने के लिए रणनीतिक क्षेत्रों के उपक्रमों की संख्या एक से चार होगी, दूसरों का निजीकरण/विलय किया जाएगा/उन्हें होल्डिंग कंपनियों के अंतर्गत लाया जाएगा।3
व्यापार जगत के लिए उपाय (एमएसएमई सहित)
वित्तीय विशेषताएं
- व्यापार जगत के लिए कोलेट्रल मुक्त कर्ज़: सभी व्यापार (एमएसएमई सहित) को तीन लाख करोड़ रुपए तक का कोलेट्रल मुक्त ऑटोमैटिक कर्ज़ दिया जाएगा।[1] एमएसएमई बैंकों और गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) से 29 फरवरी, 2020 तक अपने संपूर्ण बकाया ऋण का 20% तक उधार ले सकते हैं। 25 करोड़ रुपए तक के बकाया ऋण और 100 करोड़ रुपए तक के टर्नओवर वाली इकाइयां 31 अक्टूबर, 2020 तक इस सुविधा का लाभ उठा सकती हैं। ऋण पर ब्याज की दर कैप की जाएगी और बैंकों तथा एनबीएफसीज़ को मूल धन और ब्याज पर 100% क्रेडिट गारंटी दी जाएगी।
- एमएसएमई के लिए कॉरपस: एमएसएमई के लिए 10,000 करोड़ रुपए के कॉरपस के साथ फंड ऑफ फंड्स बनाया जाएगा। इससे एमएसएमई को विकास की संभावनाओं और वायबिलिटी के साथ इक्विटी फंडिंग मिलेगी। इस फंड स्ट्रक्चर से 50,000 करोड़ रुपए जुटाए जाने की उम्मीद है।1
- एमएसएमईज़ को अप्रधान ऋण: इस योजना का लक्ष्य स्ट्रेस्ड एमएसएमई को सहयोग देना है, जो नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) से जूझ रहे हैं। इस योजना के अंतर्गत एमएसएमईज़ के प्रमोटर्स को बैंकों से ऋण दिया जाएगा जिससे एमएसएमईज़ को इक्विटी मिलेगी। सरकार एमएसएमईज़ को 20,000 करोड़ रुपए का अप्रधान ऋण देगी। इसके लिए सूक्ष्म और लघु उद्यमों के लिए क्रेडिट गारंटी ट्रस्ट को 4,000 करोड़ रुपए दिए जाएंगे जिससे ऋण देने वाले बैंकों को योजना के अंतर्गत आंशिक क्रेडिट गारंटी सहयोग मिलेगा।1
- एनबीएफसी के लिए योजनाएं: एक विशेष लिक्विडिटी योजना की घोषणा की गई जिसके अंतर्गत सरकार गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी)/हाउसिंग फाइनांस कंपनियों (एचएफसीज़)/लघु वित्त संस्थानों (एमएफआईज़) के इनवेस्टमेंट ग्रेड डेट पेपर में प्राइमरी और सेकेंडरी ट्रांजैक्शन में 30,000 करोड़ रुपए का निवेश करेगी। केंद्र सरकार इन सिक्योरिटीज़ में 100% की गारंटी देगी। मौजूदा पार्शियल क्रेडिट गारंटी योजनाओं (पीसीजीएस) का दायरा इन संस्थाओं की उधारियों से एनबीएफसीज़ को आंशिक रूप से सुरक्षित करने के लिए बढ़ाया जाएगा (जैसे बॉन्ड्स या कमर्शियल पेपर्स (बैलेंस शीट्स का लायबिलिटी वाला हिस्सा) को प्राथमिक रूप से जारी करना)। पहले 20% नुकसान को केंद्र सरकार द्वारा वहन किया जाएगा। पीसीजीएस योजना एनबीएफसीज़ को 45,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी प्रदान करेगी।1
- कर्मचारी प्रॉविडेंट फंड (ईपीएफ): प्रधानमंत्री गरीब कल्याण योजना के अंतर्गत सरकार मार्च, अप्रैल और मई में पात्र इस्टैबिलशमेंट्स के ईपीएफ खातों में नियोक्ता का 12% और कर्मचारी का 12% अंशदान चुकाएगी। यह अगले तीन महीने (जून, जुलाई और अगस्त) में जारी रहेगा। इससे व्यापार और कर्मचारियों को 2,500 करोड़ रुपए की राहत मिलने का अनुमान है।
- वैधानिक पीएफ अनुदान: ईपीएफओ के दायरे में आने वाले सभी इस्टैबलिशमेंट्स के लिए नियोक्ता और कर्मचारी, दोनों के वैधानिक पीएफ अंशदान को 12% से घटाकर 10% किया जाएगा। यह योजना उन श्रमिकों पर लागू होगी, जोकि पीएम गरीब कल्याण पैकेज और उसके विस्तार के अंतर्गत 24% ईपीएफ सहायता के पात्र नहीं हैं। हालांकि केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम (सीपीएसई) और राज्य सार्वजनिक क्षेत्र इकाइयां (पीएसयू) नियोक्ता अंशदान के रूप में 12% का अंशदान जारी रखेंगे।1
- फुटपाथी दुकानदार: फुटपाथी दुकानदारों को आसान ऋण की सुविधा देने वाली एक विशेष योजना को एक महीने के भीतर शुरू किया जाएगा। इस योजना के अंतर्गत 10,000 रुपए की शुरुआती कार्यशील पूंजी के लिए हर दुकानदार को बैंक ऋण दिया जाएगा। इससे 5,000 करोड़ रुपए की लिक्वडिटी उत्पन्न होने का अनुमान है।[2]
नीतिगत विशेषताएं
- एमएसएमई के बकाये का जल्द भुगतान: एमएसएमई के सरकार और सीपीएसईज़ पर बकाये भुगतान को 45 दिनों में जारी किया जाएगा।1
- इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन: इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 के अंतर्गत एमएसएमईज़ के लिए एक विशेष इनसॉल्वेंसी रेज़ोल्यूशन फ्रेमवर्क को अधिसूचित किया जाएगा।
- ग्लोबल टेंडर्स को अनुमति नहीं: भारतीय एमएसएमईज़ को विदेशी कंपनियों की प्रतिस्पर्धा से बचाने के लिए सरकारी खरीद संबंधी टेंडर्स में 200 करोड़ रुपए तक के ग्लोबर टेंडर को अनुमति नहीं दी जाएगी।1
- टीडीएस और टीसीएस दरों में कटौती: निवासियों के गैर वेतन निर्दिष्ट भुगतानों के लिए टैक्स डिडक्शन एट सोर्स (टीडीएस) तथा टैक्स कलेक्टेड एट सोर्स (टीसीएस) की दरों में मौजूदा दरों से 25% की कटौती की जाएगी। ये कटौतियां 14 मई, 2020 से 31 मार्च, 2021 के दौरान लागू होंगी। इससे 50,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी मिलने का अनुमान है।1
- कॉरपोरेट्स के लिए कारोबार की सुगमता: अनुमत विदेशी अधिकार क्षेत्रों में भारतीय पब्लिक कंपनियों द्वारा सिक्योरिटीज़ की प्रत्यक्ष लिस्टिंग की अनुमति होगी। स्टॉक एक्सचेंजों में नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स (एनसीडीज़) सूचीबद्ध करने वाली निजी कंपनियों को लिस्टेड कंपनी नहीं माना जाएगा। एनसीडीज़ निश्चित अवधि के ऋण उत्पाद होते हैं जिन्हें कंपनियां कारोबारी उद्देश्य हेतु धनराशि उगाहने के लिए जारी करती हैं। कन्वर्टिबल डिबेंचर्स से अलग, एनसीडीज़ को भावी तिथि पर उन्हें जारी करने वाली कंपनी के इक्विटी शेयर्स में बदला नहीं जा सकता।3
विधायी विशेषताएं
- एमएसएमई की परिभाषा: एमएसएमई की परिभाषा को सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम विकास एक्ट, 2006 में संशोधन के जरिए बदला जाएगा। प्रस्तावित परिभाषा के अनुसार, निवेश सीमा को सूक्ष्म उद्यमों के लिए 25 लाख से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपए, लघु उद्यमों के लिए 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ रुपए और मध्यम दर्जे के उद्यमों के लिए 10 करोड़ से बढ़ाकर 20 करोड़ रुपए किया जाएगा। वार्षिक टर्नओवर के लिए नए मानदंड को प्रस्तावित किया जाएगा। सूक्ष्म, लघु और मध्यम दर्जे के उद्यमों के लिए टर्नओवर की सीमा क्रमशः 5 करोड़, 50 करोड़ और 100 करोड़ होगी। मैन्यूफैक्चरिंग और सर्विस एमएसएमई के बीच के मौजूदा अंतर (ताकि प्रत्येक श्रेणी को अलग-अलग निवेश सीमाएं दी जा सकें) को हटाया जाएगा।1
- इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया को शुरू करना: इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी संहिता, 2016 को निम्नलिखित के लिए संशोधित किया जाएगा: (i) इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए न्यूनतम सीमा को एक लाख रुपए से बढ़ाकर एक करोड़ रुपए किया जाएगा, (ii) एक वर्ष तक इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया को नए सिरे से शुरू करने को निरस्त करना, जोकि महामारी की स्थिति पर निर्भर करता है, (iii) इनसॉल्वेंसी प्रक्रिया को शुरू करने के लिए कोविड-19 संबंधी ऋण को संहिता के अंतर्गत ‘डीफॉल्ट’ की परिभाषा से बाहर किया जाएगा।3
- कंपनी एक्ट, 2013 में संशोधन: कंपनी एक्ट, 2013 को निम्नलिखित प्रदान करने के लिए संशोधित किया जाएगा:3
- कंपनी एक्ट, 2013 के अंतर्गत कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज किया जाएगा। इनमें छोटे तकनीकी और प्रक्रियागत डीफॉल्ट जैसे सीएसआर रिपोर्टिंग में कमियां, बोर्ड रिपोर्ट में कमियां, डीफॉल्ट फाइल करना, एजीएम करने में विलंब शामिल हैं। कंपाउंड होने वाले कई अपराधों को आंतरिक निर्णय प्रणालियों में स्थानांतरित किया जाएगा।3
- वर्तमान में कंपनी एक्ट, 1956 के कुछ प्रावधान उत्पादक कंपनियों पर लागू रहेंगे। इन प्रावधानों को कंपनी एक्ट, 2013 में शामिल किया जाएगा। राष्ट्रीय कंपनी कानून अपीलीय ट्रिब्यूनल (एनसीएलएटी) को अतिरिक्त/विशेषज्ञ पीठ बनाने की शक्तियां दी जाएंगी। छोटी कंपनियों, वन-पर्सन कंपनियों, उत्पादक कंपनियों और स्टार्ट-अप्स के सभी डीफॉल्ट्स कम सजा के अधीन होंगे।
- कंपनी एक्ट, 2013 के अंतर्गत कुछ अपराधों को डीक्रिमिनलाइज किया जाएगा। इनमें छोटे तकनीकी और प्रक्रियागत डीफॉल्ट जैसे सीएसआर रिपोर्टिंग में कमियां, बोर्ड रिपोर्ट में कमियां, डीफॉल्ट फाइल करना, एजीएम करने में विलंब शामिल हैं। कंपाउंड होने वाले कई अपराधों को आंतरिक निर्णय प्रणालियों में स्थानांतरित किया जाएगा।3
कृषि और संबद्ध क्षेत्र
वित्तीय विशेषताएं
- किसानों को रियायती ऋण: किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड्स के जरिए रियायती दरों पर संस्थागत ऋण की सुविधा दी जाएगी। इस योजना में 2.5 करोड़ किसानों को दो लाख करोड़ रुपए की लागत से रियायती ऋण दिया जाएगा।2
- कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर फंड: फ्रम गेट और एग्रेगेशन प्वाइंट्स (जैसे सहकारी संघों और किसान उत्पादक संगठनों) पर कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए एक लाख करोड़ रुपए का एक फंड बनाया जाएगा। फार्म गेट एक ऐसा बाजार है जहां खरीदार किसानों से सीधा उत्पाद खरीद सकते हैं।[3]
- किसानों के लिए आपातकालीन कार्यशील पूंजी: किसानों के लिए आपातकालीन कार्यशाली पूंजी के रूप में 30,000 करोड़ रुपए की अतिरिक्त राशि जारी की जाएगी। यह राशि नाबार्ड के जरिए ग्रामीण सहकारी बैंकों (आरसीबीज़) और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबीज़) को अपने फसल ऋण की जरूरतों को पूरा करने के लिए दी जाएगी। इस राशि से तीन करोड़ छोटे और सीमांत किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है। यह उस 90,000 करोड़ रुपए के वित्तीय सहयोग के अतिरिक्त है जो इस वर्ष फसल ऋण की जरूरत को पूरा करने के लिए आरसीबी और आरआरबी को नाबार्ड द्वारा प्रदान किया जाएगा।2
-
मछुआरों को सहयोग: प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (पीएमएमएसवाई) मरीन और इनलैंड फिशरीज़ के एकीकृत, सतत और समावेशी विकास के लिए शुरू की जाएगी। इस योजना के अंतर्गत मरीन, इनलैंड फिशरीज़ और एक्वाकल्चर संबंधी गतिविधियों पर 11,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और 9,000 करोड़ रुपए इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास के लिए खर्च किए जाएंगे (जैसे कि मछली पकड़ने के बंदरगाह, कोल्ड चेन, बाजार)।4
- पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर विकास: डेयरी प्रसंस्करण, मूल्य संवर्धन, और पशु चारे से संबंधित इंफ्रास्ट्रक्चर में निजी निवेश करने के उद्देश्य से 15,000 करोड़ रुपए का पशुपालन इंफ्रास्ट्रक्चर विकास फंड स्थापित किया जाएगा। उत्कृष्ट डेयरी उत्पादों के निर्यात हेतु संयंत्र स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन दिया जाएगा।4
- रोजगार बढ़ाने हेतु कैंपा फंड्स का इस्तेमाल: जनजातियों/आदिवासियों के रोजगार सृजन हेतु कंपनसेटरी अफोरेस्टेशन मैनेजमेंट और प्लानिंग अथॉरिटी (कैंपा) के अंतर्गत सरकार 6,000 करोड़ रुपए की योजना को मंजूरी देगी।2 कैंपा के अंतर्गत धनराशि को निम्नलिखित के लिए इस्तेमाल किया जाएगा: (i) वनीकरण और पौधरोपण के काम, शहरी क्षेत्रों में भी, (ii) कृत्रिम पुनर्जनन और सहायता प्राप्त प्राकृतिक पुनर्जनन, (iii) वन प्रबंधन, मृदा और नमी संरक्षण कार्य, (iv) वन संरक्षण, वन और वन्य जीव संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास और वन्य जीव संरक्षण और प्रबंधन। उल्लेखनीय है कि कैंपा फंड्स का इस्तेमाल फिलहाल वनों के संरक्षण और वन्य जीव प्रबंधन के लिए किया जाता है।
विधायी विशेषताएं
- अनिवार्य वस्तु एक्ट में संशोधन: आवश्यक वस्तु एक्ट, 1955 कुछ वस्तुओं के उत्पादन, सप्लाई और वितरण को नियंत्रित करता है ताकि देश में उन वस्तुओं की कमी न हो। एक्ट के अंतर्गत ऐसी वस्तुओं की सूची में खाद्य तेल और बीज, दालें, गन्ना और उसके उत्पाद, और धान शामिल हैं। एक्ट में अनाज, खाद्य तेल, तिलहन, दाल, प्याज और आलू सहित खाद्य पदार्थों को डीरेगुलेट करने के लिए संशोधन किया जाएगा। इस क्षेत्र में निवेश को आकर्षित करने और प्रतिस्पर्धा को बढ़ाने से किसानों को बेहतर कीमत मिलने की उम्मीद है। कुछ असामान्य परिस्थितियों, जैसे राष्ट्रीय आपदाओं और अकाल में कीमतों में वृद्धि की आशंका के कारण स्टॉक सीमा लागू की जाएगी। इसके अतिरिक्त प्रोसेसर या मूल्य श्रृंखला प्रतिभागी तथा निर्यातक पर स्टॉक की सीमा लागू नहीं होगी, जो उनकी स्थापित क्षमता या निर्यात मांग के अधीन होगा।4
- कृषि मार्केटिंग सुधार: निम्नलिखित के लिए एक केंद्रीय कानून बनाया जाएगा: (i) किसानों के पास लाभकारी मूल्य पर अपने उत्पाद बेचने के पर्याप्त विकल्प, (ii) बाधामुक्त अंतर राज्यीय व्यापार, और (iii) कृषि उत्पादों की ई-ट्रेडिंग के लिए फ्रेमवर्क। वर्तमान में किसान कृषि उत्पाद मार्केट कमिटी (एपीएमसीज़) को अपने उत्पाद बेचने को बाध्य हैं। प्रस्तावित संशोधन से कृषि उत्पादों के मुक्त प्रवाह और किसानों को बेहतर कीमतों का विकल्प प्रदान करने वाली सप्लाई चेन बनने का प्रयास किया जा रहा है।4
- क़ृषि उत्पाद का मूल्य निर्धारण और क्वालिटी का आश्वासन: किसानों को एक निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से प्रोसेसर, एग्रीगेटर, बड़े खुदरा विक्रेताओं और निर्यातकों के साथ जोड़ने हेतु एक सुविधाजनक कानूनी ढांचा बनाया जाएगा। किसानों के लिए जोखिम को कम करना, पक्के रिटर्न और गुणवत्ता मानकीकरण इस फ्रेमवर्क का अभिन्न हिस्सा बनेगा। इसका उद्देश्य यह है कि बुवाई के समय किसान फसलों की कीमत का सही अनुमान लगाएं और निजी क्षेत्र का निवेश भी बढ़े।4
प्रवासी श्रमिक
नीतिगत विशेषताएं
- एक राष्ट्र एक कार्ड: प्रवासी श्रमिक एक राष्ट्र एक राशन कार्ड की योजना के अंतर्गत मार्च 2021 तक भारत में किसी भी उचित मूल्य की दुकान से सार्वजनिक वितरण प्रणाली (राशन) का उपयोग कर सकेंगे। यह योजना प्रवासी मजदूरों के लिए राशन तक पहुंच की अंतर-राज्यीय पोर्टेबिलिटी का परिचय देगी। अगस्त 2020 तक इस योजना द्वारा 23 राज्यों में 67 करोड़ लाभार्थियों (पीडीएस जनसंख्या का 83%) को कवर करने का अनुमान है। सभी राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों से यह अपेक्षित है कि वे शत प्रतिशत राष्ट्रीय पोर्टेबिलिटी प्राप्त करने के लिए मार्च 2021 तक उचित मूल्य की दुकानों का पूर्ण ऑटोमेशन पूरा करें।2
- प्रवासियों के लिए खाद्यान्नों की निशुल्क आपूर्ति: प्रवासी श्रमिक जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा एक्ट राशन कार्ड या राज्य कार्ड के लाभार्थी नहीं, उन्हें दो महीने के लिए प्रति माह प्रति व्यक्ति 5 किलो खाद्यान्न और प्रति परिवार 1 किलो चना मिलेगा। इस योजना के लिए 3,500 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे और इसके अंतर्गत आठ करोड़ प्रवासियों को लाभ मिलने का अनुमान है।2
- प्रवासी श्रमिकों/शहरी निर्धनों के लिए सस्ते रेंटल हाउसिंग कॉम्प्लैक्स (एआरएचसी): प्रवासी श्रमिकों/शहरी निर्धनों को प्रधानमंत्री आवास योजना (पीएमएवाई) के अंतर्गत सस्ते किराए पर आवास मुहैय्या कराए जाएंगे।2 यह लक्ष्य निम्नलिखित के जरिए हासिल किया जाएगा: (i) पीपीपी के जरिए शहरों में सरकारी फंडेड मकानों को एआरएचसीज़ में बदलना, और (ii) मैन्यूफैक्चरिंग यूनिट्स, उद्योगों, संस्थानों, संगठनों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करना कि वे अपनी निजी भूमि में एआरएचसीज़ को विकसित करें और उन्हें संचालित करें।
नागरिक उड्डयन
नीतिगत विशेषताएं
- प्रभावी एयरस्पेस मैनेजमेंट: भारतीय एयरस्पेस के उपयोग पर लगे प्रतिबंधों को कम किया जाएगा ताकि नागरिक उड़ान अधिक प्रभावशाली हो। इससे एयरस्पेस के इष्टतम उपयोग, ईंधन के उपयोग और समय में कमी, और उड्डयन क्षेत्र के लिए प्रति वर्ष लगभग 1,000 करोड़ रुपए बचने का अनुमान है।5
- हवाई अड्डों के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) मॉडल: पीपीपी मॉडल के जरिए विश्वस्तरीय हवाई अड्डे बनाए जाएंगे। पहले दौर में एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) ने नीलामी के जरिए छह में से तीन हवाई अड्डों (अहमदाबाद, लखनऊ और मंगलुरु) को पीपीपी आधार पर संचालित एवं उसका रखरखाव करने के लिए चुना है। प्रत्येक बोली प्रक्रिया के दूसरे और तीसरे दौर के लिए छह और हवाई अड्डों को चिन्हित किया गया है। इन 12 हवाई अड्डों में निजी क्षेत्र का निवेश लगभग 13,000 करोड़ रुपए होने की उम्मीद है।5
रक्षा
नीतिगत विशेषताएं
- रक्षा क्षेत्र में ऑटोमैटिक रूट से मैन्यूफैक्चरिंग में एफडीआई की सीमा 49% से बढ़ाकर 74% की जाएगी।5
- देश को उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य से रक्षा क्षेत्र में मेक इन इंडिया पहल को बढ़ावा दिया जाएगा। हथियारों/प्लेटफार्मों की एक सूची जारी की जाएगी जिनका आयात एक निश्चित वर्ष के लिए प्रतिबंधित रहेगा। इसके अतिरिक्त सरकार ने ऑर्डिनेंस फैक्ट्री बोर्ड के निगमीकरण के जरिए ऑर्डिनेंस सप्लाई में स्वायत्तता, जवाबदेही और दक्षता में सुधार करने की योजना बनाई है।5
ऊर्जा
वित्तीय विशेषताएं
- वितरण कंपनियों (डिस्कॉम्स) के लिए लिक्विडिटी सहयोग: बिजली वितरण कंपनियों को 90,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी प्रदान की जाएगी। ये पावर फाइनांस कॉरपोरेशन और रूरल इलेक्ट्रिफिकेशन कॉरपोरेशन के फंड के रूप में होंगे। विशेष रूप से बिजली उत्पादन कंपनियों को उनकी देनदारियों के निर्वहन के लिए राज्य सरकार से गारंटीशुदा ऋण भी प्रदान किया जाएगा।[4]
- कोयले की निकासी: कोयले की निकासी के लिए बुनियादी ढांचे के विकास पर 50,000 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। इसमें खदानों से रेलवे साइडिंग तक कोयले के मशीनीकृत (कन्वेयर बेल्ट) हस्तांतरण में 18,000 करोड़ रुपए का निवेश शामिल है।5
नीतिगत विशेषताएं
- उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा: डिस्कॉम की अक्षमताओं से उपभोक्ता प्रभावित नहीं होंगे। डिस्कॉम्स की सेवाओं के मानकों और संबद्ध सजा को स्पष्ट किया जाएगा ताकि कंपनियां पर्याप्त बिजली सुनिश्चित करें और लोड-शेडिंग से बचें।5
- रेगुलेटरी एसेट्स: बिजली क्षेत्र में रेगुलेटरी एसेट्स को समाप्त किया जएगा। रेगुलेटरी एसेट अनुमत शुल्क बढ़ोतरी की स्थिति में डिस्कॉम्स से संबंधित एक फंड होता है। अस्थिरता से बचने के लिए इसे राजस्व में नहीं वसूला जाता क्योंकि इसे उपभोक्ताओं को हस्तांतरित नहीं किया जाता। डिस्कॉम्स को इस राशि को बाद के चरण में राज्य सरकार या अनुमत सरचार्ज के रूप में उपभोक्ताओं से प्राप्त करने की अनुमति है। अब तक विभिन्न राज्यों में रेगुलेटरी एसेट के रूप में काफी बड़ी पूंजी मौजूद है जिसे संबंधित राज्यों के डिस्कॉम्स लिक्विडिटी के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं।
- बिजली वितरण का निजीकरण: केंद्र शासित प्रदेशों में बिजली विभाग/यूटिलिटीज़ का निजीकरण होगा।5
- कमर्शियल कोयला खनन: मार्च 2020 में खनिज कानून (संशोधन) बिल पारित किया गया जिसने कोयला क्षेत्र में कमर्शियल खनन की अनुमति दी है। कोयला खदानों के आबंटन के लिए नीलामी की जाएगी। कोई भी कंपनी कोयला ब्लॉक के लिए बोली लगा सकती है और उसे खुले बाजार में बेच सकती है। इस क्षेत्र में प्रवेश के नियमों में ढिलाई दी गई है और लगभग 50 ब्लॉक्स को तुरंत प्रस्तुत किया गया है।5
विधायी विशेषताएं
- क्रॉस सब्सिडी में कमी: बिजली एक्ट, 2003 को संशोधित किया जाएगा ताकि क्षेत्र में क्रॉस सब्सिडी में धीरे धीरे कमी की जा सके।5 पात्र उपभोक्ताओं को सब्सिडी देने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) की योजना बनाई गई है।5
आवास
वित्तीय विशेषताएं
- मध्यम आय वर्ग (एमआईजी) के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना: मध्यम आय वर्ग (वार्षिक आय 6 लाख रुपए और 18 लाख रुपए के बीच) के लिए क्रेडिट लिंक्ड सब्सिडी योजना को मार्च 2021 तक एक वर्ष के लिए बढ़ाया जाएगा। सरकार को उम्मीद है कि इससे आवास क्षेत्र में 70,000 करोड़ रुपए का निवेश हो सकता है।2
नीतिगत विशेषताएं
- रियल एस्टेट क्षेत्र को सहयोग: कोविड 19 को रियल एस्टेट रेगुलेटरी अथॉरिटी (रेरा) के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों और उनकी रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ द्वारा ‘अप्रत्याशित घटना’ के तौर पर माना जाएगा। व्यक्तिगत एप्लीकेशंस के बिना 25 मार्च, 2020 या उसके बाद समाप्त होने वाले सभी पंजीकृत प्रॉजेक्ट्स के पंजीकरण और पूर्ण होने की तारीखों को छह महीने बढ़ाया जाएगा। रेगुलेटरी अथॉरिटीज़ के विवेकाधीन इस अवधि को तीन महीने और बढ़ाया जा सकता है। नकदी के प्रवाह को आसान बनाने के लिए सरकारी एजेंसियों द्वारा आंशिक बैंक गारंटी भी जारी की जाएगी।1
सामाजिक क्षेत्र
नीतिगत विशेषताएं
- सार्वजनिक स्वास्थ्य: सार्वजनिक स्वास्थ्य में निवेश बढ़ाया जाएगा और ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों में जमीनी स्तर के संस्थानों में निवेश किया जाएगा।3 महामारी के प्रभावी प्रबंधन के लिए जिला और ब्लॉक स्तरों पर लैब नेटवर्क्स को मजबूत किया जाएगा। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य ब्ल्यूप्रिंट को लागू किया जाएगा जिसका उद्देश्य एक ऐसा इकोसिस्टम बनाना है जोकि डिजिटल तकनीक का इस्तेमाल करते हुए प्रभावी, समावेशी, सुरक्षित और यथासमय सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को सहयोग प्रदान करे।
- मनरेगा के लिए आबंटन: ग्रामीण अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए मनरेगा के अंतर्गत अतिरिक्त 40,000 करोड़ रुपए आबंटित किए जाएंगे। इससे मनरेगा के लिए केंद्रीय बजट आबंटन 61,500 करोड़ रुपए से बढ़कर 2020-21 के लिए 1,01,500 करोड़ रुपए (65% वृद्धि) हो गया है।[5]
- वायबिलिटी गैप फंडिंग: सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर प्रॉजेक्ट्स के लिए वायबिलिटी गैप फंडिंग (वीजीएफ) को कुल लागत का 30% तक बढ़ा दिया जाएगा। सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने की कुल लागत 81,000 करोड़ रुपए अनुमानित है।5
- तकनीक आधारित शिक्षा: डिजिटल/ऑनलाइन शिक्षा के लिए मल्टी-मोड एक्सेस के लिए पीएम-ई-विद्या को लॉन्च किया जाएगा। इस कार्यक्रम में दीक्षा योजना (एक राष्ट्र, एक डिजिटल प्लेटफॉर्म) के अंतर्गत राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में स्कूली शिक्षा को सहयोग देने की सुविधाएं शामिल होंगी। नेशनल फाउंडेशनल लिटरेसी एंड न्यूमेरिस मिशन दिसंबर 2020 तक शुरू किया जाएगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि प्रत्येक बच्चे को 2025 तक कक्षा 5 के स्तर का शिक्षण स्तर प्राप्त हो सके और वह उसमें उत्तीर्ण हो सके।3
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के मुख्य कदम1
जिस वित्तीय पैकेज की घोषणा की गई, उसमें लिक्विडिटी जुटाने में सहयोग हेतु आरबीआई के कुछ कदम भी शामिल हैं। ये निम्नलिखित हैं:
- कैश रिज़र्व रेशो (सीआरआर) को कम किया गया जिसके परिणामस्वरूप 1,37,000 करोड़ रुपए प्राप्त हुए।
- मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी (एमएसएफ) के अंतर्गत बैंक ऋण की सीमा को बढ़ाया गया। इससे बैंकों को एमएसएफ की निम्न दर पर अतिरिक्त 1,37,000 करोड़ रुपए की लिक्विडिटी का लाभ हुआ।
- एनबीएफसीज़ और एमएफआई के, तथा अन्य इनवेस्टमेंट ग्रेडेड बॉन्ड्स, कमर्शियल पेपर, नॉन कन्वर्टिबल डिबेंचर्स में निवेश हेतु कुल 1,50,050 करोड़ रुपए के टार्गेटेड लॉन्ग टर्म रेपो ऑपरेशंस (टीएलटीआरओ) की योजना बनाई गई।
- म्यूचुअल फंड्स के लिए 50,000 करोड़ रुपए की स्पेशल लिक्विडिटी फेसिलिटी (एसएलएफ) की घोषणा की गई।
- नाबार्ड, सिडबी और एनएचबी के लिए पॉलिटी रेपो रेट पर 50,000 करोड़ रुपए मूल्य की स्पेशनल रीफाइनांस फेसिलिटीज़ की घोषणा की गई।
- सभी प्रकार के ऋणों के लिए वर्किंग कैपिटल फेसिलिटीज़ की किश्तों और ब्याज के भुगतान पर तीन महीने का अधिस्थगन प्रदान किया गया है।
आत्मनिर्भर भारत अभियान इकोनॉमी पैकेज का ब्रेकअप
विशेष आर्थिक पैकेज के विभिन्न घटकों को निम्नलिखित तालिका में प्रदर्शित किया गया है:
तालिका 1: आत्मनिर्भर भारत अभियान के अंतर्गत प्रोत्साहनों का ब्रेकअप
मद |
राशि (करोड़ रुपए में) |
शुरुआती उपायों से प्रोत्साहन |
1,92,800 |
घोषणाओं के भाग 1 में प्रदान किए गए प्रोत्साहन |
5,94,550 |
घोषणाओं के भाग 2 में प्रदान किए गए प्रोत्साहन |
3,10,000 |
घोषणाओं के भाग 3 में प्रदान किए गए प्रोत्साहन |
1,50,000 |
घोषणाओं के भाग 4 और भाग 5 में प्रदान किए गए प्रोत्साहन |
48,100 |
कुल |
1,295,400 |
आरबीआई के उपाय (वास्तविक) |
8,01,603 |
कुल |
20,97,053 |
Source: Presentation made by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, Ministry of Finance, May 13, 2020, PRS.
[1] Presentation made by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, Ministry of Finance, May 13, 2020, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/Aatmanirbhar%20Presentation%20Part-1%20Business%20including%20MSMEs%2013-5-2020.pdf.
[2] Presentation of details of Tranche 2 by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, Ministry of Finance, May 14, 2020, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/Aatma%20Nirbhar%20Bharat%20presentation%20Part-2%2014-5-2020.pdf.
[3] Presentation of details of 3rd Tranche by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, May 15, 2020, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/Aatma%20Nirbhar%20Bharat%20Presentation%20Part-3%20Agriculture%2015-5-2020%20revised.pdf.
[4] Presentation of details of 4th Tranche announced by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, May 16, 2020, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/AatmaNirbhar%20Bharat%20Full%20Presentation%20Part%204%2016-5-2020.pdf.
[5] Presentation of details of 5th Tranche announced by Union Finance & Corporate Affairs Minister Smt. Nirmala Sitharaman under Aatmanirbhar Bharat Abhiyaan to support Indian economy in fight against COVID-19, May 17, 2020, https://static.pib.gov.in/WriteReadData/userfiles/Aatma%20Nirbhar%20Bharat%20%20Presentation%20Part%205%2017-5-2020.pdf.
अस्वीकरणः प्रस्तुत रिपोर्ट आपके समक्ष सूचना प्रदान करने के लिए प्रस्तुत की गई है। पीआरएस लेजिसलेटिव रिसर्च (पीआरएस) के नाम उल्लेख के साथ इस रिपोर्ट का पूर्ण रूपेण या आंशिक रूप से गैर व्यावसायिक उद्देश्य के लिए पुनःप्रयोग या पुनर्वितरण किया जा सकता है। रिपोर्ट में प्रस्तुत विचार के लिए अंततः लेखक या लेखिका उत्तरदायी हैं। यद्यपि पीआरएस विश्वसनीय और व्यापक सूचना का प्रयोग करने का हर संभव प्रयास करता है किंतु पीआरएस दावा नहीं करता कि प्रस्तुत रिपोर्ट की सामग्री सही या पूर्ण है। पीआरएस एक स्वतंत्र, अलाभकारी समूह है। रिपोर्ट को इसे प्राप्त करने वाले व्यक्तियों के उद्देश्यों अथवा विचारों से निरपेक्ष होकर तैयार किया गया है। यह सारांश मूल रूप से अंग्रेजी में तैयार किया गया था। हिंदी रूपांतरण में किसी भी प्रकार की अस्पष्टता की स्थिति में अंग्रेजी के मूल सारांश से इसकी पुष्टि की जा सकती है।